मंगलवार, 12 जनवरी 2010

इंतजार...


   WAITING... - A painting by IMAN MALEKI (Iran)


इंतजार
लंबे पलों के बीच
फुसफुसाकर समय बताती दिवाल घड़ी
इंतजार में लिपटा
हर सॆकंड
उगाता है
काले-काले,
 पसीने से सराबोर सवाल
कानों को बींधती है कोई लौटी हुयी आवाज
शायद किसी गुजरे हुये दिन से टकराकर
उनींदे दिनो के बीच
सूरज के उगने, चढ़ने और डूबने के बाद
वो ढकेलती है तारीखों को
उसकी तकती आँखे सिकोड़ देती है
सड़कों को
बेचैनी से
मलती है हथेलियों को
और पैदा करती है
कुलबुलाहट भरे सवाल
बार-बार नहाती है वो उदासी से
कुछ और गहरा जाता है
उदासी का रंग, और फिर
उदासी के खिलाफ
उदास हो जाती है वो
बस करती है इंतजार...
-बालकृष्ण अय्यर



8 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

ईंतजार और ईंतजार
यह शब्द प्रारंभ मायुस करता है लेकिन अंत मे आनददायक हो जाता है। जब ईंतजार करना सीख जाते हैं तब्। बढिया अभी व्यक्ति-आभार और ईंतजार

Anil Pusadkar ने कहा…

वाह!

निर्मला कपिला ने कहा…

उदासी के खिलाफ
उदास हो जाती है वो
बस करती है इंतजार...
वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है शुभकामनायें

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी रचना।

हास्यफुहार ने कहा…

अच्छी लगी कविता।

बेनामी ने कहा…

अच्छी कविता।

अपूर्व ने कहा…

बहुत अच्छा..
..इंतजार के वक्त के कितने पहलू सिमट कर आ गये आपकी कविता की जद मे..
और इस अंतहीन इंतजार का भवितव्य..

उदासी के खिलाफ
उदास हो जाती है वो
बस करती है इंतजार..

बेमिसाल कविता!!

शरद कोकास ने कहा…

तुम्हारी कविता पढकर लग रहा है कि बस बसंत आने ही वाला है ।